
चंडीगढ़ पुलिस ने आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार (Y Puran Kumar) की कथित आत्महत्या के मामले में पोस्टमार्टम कराने के लिए जिला अदालत में अर्जी दायर की है। अधिकारी के शव का पोस्टमार्टम आठ दिनों से अधिक समय से लंबित है, जिसके कारण पुलिस ने कोर्ट में तर्क दिया कि देरी से महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो रहे हैं। कोर्ट ने पुलिस की इस अर्जी को स्वीकार करते हुए दिवंगत अधिकारी के परिवार, विशेष रूप से उनकी पत्नी आईएएस अमनीत पी कुमार (IAS Amneet P Kumar) को नोटिस जारी किया है। परिवार को 15 अक्टूबर 2025 तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी, जहां पोस्टमार्टम को लेकर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।मामले का पृष्ठभूमि
- घटना: 7 अक्टूबर 2025 को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित सरकारी आवास में 52 वर्षीय आईपीएस वाई पूरन कुमार (2001 बैच, हरियाणा कैडर) ने खुद को गोली मार ली। मृत्यु से एक दिन पहले (6 अक्टूबर) उन्होंने 8 पेज का सुसाइड नोट और पत्नी के नाम वसीयत लिखी, जिसमें हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर सहित 15 अधिकारियों पर जातीय भेदभाव (दलित होने के कारण), मानसिक प्रताड़ना, ट्रांसफर और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए।
- परिवार की मांगें: पत्नी अमनीत कुमार ने पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक सुसाइड नोट में नामजद सभी आरोपी (जैसे रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरनिया) की गिरफ्तारी न हो और न्याय न मिले, तब तक सहमति नहीं देंगे। परिवार ने आरोप लगाया कि शव को बिना जानकारी के सरकारी अस्पताल से पीजीआईएमईआर ले जाया गया।
- पुलिस की कार्रवाई:
- चंडीगढ़ पुलिस ने FIR दर्ज की, जिसमें SC/ST एक्ट की धाराएं जोड़ी गईं।
- 12 अक्टूबर को रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरनिया को हटा दिया गया।
- 13 अक्टूबर को अमनीत कुमार को नोटिस भेजा गया, जिसमें सुसाइड नोट की प्रामाणिकता जांचने के लिए उनका लैपटॉप सौंपने की मांग की गई। लैपटॉप को सेंट्रल फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा।
- डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा ने परिवार से मुलाकात की, लेकिन सहमति नहीं मिली।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
- विपक्षी नेता राहुल गांधी ने 13 अक्टूबर को परिवार से मुलाकात की और इसे “जातिगत जहर” का प्रतीक बताया।
- वाल्मीकि समाज के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच हो।
- हरियाणा सरकार ने मंत्रियों (कृष्ण लाल पंवार, कृष्ण कुमार बेदी) और अधिकारियों को परिवार से बातचीत के लिए भेजा, लेकिन गतिरोध बरकरार है।
यह मामला जातिगत भेदभाव और पुलिस महकमे के आंतरिक दबावों को उजागर कर रहा है। 15 अक्टूबर की सुनवाई के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकती है। यदि पोस्टमार्टम होता है, तो यह जांच को गति देगा, अन्यथा विवाद और बढ़ सकता है।