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काशी की धरती पर विराजमान है माता शैलपुत्री, दर्शन के लिए उमड़ी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़

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रांची/डेस्क: देश की धार्मिक नगरी काशी में नवरात्रि के पहले दिन ही भक्तों के लिए अद्भुत दृश्य देखने को मिला. शहर से मात्र 4 किलोमीटर दूर स्थित मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं से भर गया. मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री स्वयं अपने भक्तों को दर्शन देती हैं. इस साल नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हुई है और इसके मौके पर मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं.

 

मंदिर का इतिहास भी बेहद रोचक हैं. यूट्यूबर और स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार, मां शैलपुत्री का यह मंदिर वारुणा नदी के किनारे स्थित है और इसे भारत में शैलपुत्री के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता हैं. धर्म मान्यता है कि माता पार्वती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका नाम शैलपुत्री पड़ा. कथाओं के अनुसार माता ने कभी कैलाश छोड़कर काशी का मार्ग चुना और यहीं स्थायी रूप से विराजमान हो गई.


भक्तजन सुबह से ही मंदिर पहुंचकर माता को लाल फूल, नारियल और चुनरी अर्पित कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं. सुहागिनें अपने परिवार की मंगल कामना के लिए यहां विशेष पूजा करती हैं. माता शैलपुत्री वृषभ पर सवार है और दाएं हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल धारण करती हैं. मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं को एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव महसूस होता हैं. यहां दिनभर आरती होती रहती है और भक्त पूरी श्रद्धा के साथ माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.


कैसे पहुंचें वहां?
मंदिर वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन से मात्र 10-15 मिनट की दूरी पर हैं. वाराणसी जंक्शन और मंडुआडीह रेलवे स्टेशन दोनों से ऑटो, टैक्सी या बस सुविधा उपलब्ध हैं. सड़क मार्ग से भी शहर अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जिससे देश के किसी भी हिस्से से श्रद्धालु आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं. 

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